ए.आर. रहमान, जिनका असली नाम ए.आर. मोहम्मद राशीद खान है, भारतीय संगीतकार, गायक और निर्माता हैं। उनका जन्म 6 जनवरी 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। रहमान भारतीय सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली संगीतकारों में से एक हैं। उन्होंने न केवल भारतीय फिल्म उद्योग में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी है।
रहमान के पिता, आर.के. शेख़ मोहम्मद, एक फिल्म संगीतकार थे, लेकिन उनका करियर उतना सफल नहीं रहा। रहमान के जीवन की दिशा उनके पिता की मृत्यु के बाद बदल गई। रहमान ने अपनी शिक्षा सेंट जेवियर्स कॉलेज, चेन्नई से पूरी की, लेकिन उनकी असली रुचि संगीत में थी।
कैरियर की शुरुआत में, रहमान ने कई विज्ञापनों और डॉक्यूमेंट्रीज़ के लिए संगीत तैयार किया। 1992 में, उनकी फिल्म “रोजा” के लिए संगीत ने उन्हें पहली बार व्यापक पहचान दिलाई। इस फिल्म के संगीत ने न केवल भारतीय दर्शकों का दिल जीता, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सराहना प्राप्त की। “रोजा” का संगीत उन दिनों का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
इसके बाद, रहमान ने कई हिट फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, जैसे “दिल से” (1998), “ताल” (1999), और “लगान” (2001)। “लगान” का संगीत और फिल्म दोनों ने ही दर्शकों को मोहित कर दिया और फिल्म को ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया। “दिल से” और “ताल” के संगीत में रहमान ने पारंपरिक भारतीय धुनों को आधुनिक वाद्यों के साथ मिला कर एक नया संगीत अनुभव प्रदान किया।
2008 में, रहमान ने “स्लमडॉग मिलियनेयर” के लिए संगीत तैयार किया, जो एक प्रमुख सफल फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के लिए उन्होंने दो ऑस्कर पुरस्कार जीते – ‘सर्वश्रेष्ठ संगीत’ और ‘सर्वश्रेष्ठ गीत’ के लिए। यह पुरस्कार रहमान के करियर का एक महत्वपूर्ण क्षण था और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।
रहमान की संगीत की शैली में एक अद्वितीय मेल देखने को मिलता है, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, और पश्चिमी संगीत का सम्मिलन होता है। उनकी धुनों में एक खास तरह की भावनात्मक गहराई होती है, जो उन्हें बाकी संगीतकारों से अलग बनाती है। उनके संगीत में आमतौर पर एक आध्यात्मिक और रहस्यमय तत्व होता है, जो श्रोता को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
रहमान ने अपने करियर के दौरान कई प्रमुख पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं। उन्हें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, चार बार फिल्मफेयर पुरस्कार, और कई अन्य पुरस्कार मिले हैं। इसके अलावा, उन्होंने 2009 में ग्रैमी पुरस्कार भी जीते, जो एक भारतीय संगीतकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
रहमान का संगीत केवल फिल्मों तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने कई स्टेज शोज़ और लाइव कंसर्ट्स भी किए हैं, जिनमें से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए गए हैं। उनका एक विशेष प्रोजेक्ट ‘संगम’ भी रहा, जो एक संगीत यात्रा थी जिसमें उन्होंने भारत और पश्चिमी संगीत की अनोखी मिलावट को प्रस्तुत किया।
उनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें, तो रहमान एक बहुत ही साधारण और धार्मिक व्यक्ति हैं। वे इस्लाम धर्म के अनुयायी हैं और अपने परिवार के साथ एक साधारण जीवन जीते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी, सायरा बानो, और तीन बच्चे – करीमा, अहमद, और राहिल शामिल हैं। रहमान ने अपने परिवार की परवरिश को हमेशा प्राथमिकता दी है और परिवार के साथ समय बिताना उन्हें बहुत पसंद है।
रहमान ने शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान दिया है। उन्होंने अपने नाम से ‘A.R. Rahman Foundation’ की स्थापना की, जो गरीब और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए काम करती है। इसके अलावा, उन्होंने ‘KM Music Conservatory’ की स्थापना की, जो एक संगीत स्कूल है जहाँ पर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीत का प्रशिक्षण दिया जाता है।
उनकी संगीत यात्रा और उनके द्वारा किए गए योगदान ने उन्हें भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीत उद्योग में एक विशेष स्थान दिलाया है। ए.आर. रहमान की संगीत कला, उनकी मेहनत और उनके अनोखे दृष्टिकोण ने उन्हें संगीत की दुनिया में एक अमूल्य रत्न बना दिया है। वे आज भी संगीत के क्षेत्र में नई-नई खोज और प्रयोग कर रहे हैं और उनके काम ने उन्हें हमेशा एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया है।
ए.आर. रहमान की जीवनी एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाती है कि कला और मेहनत के माध्यम से किसी भी व्यक्ति का सपना सच हो सकता है। उनकी यात्रा ने साबित कर दिया है कि सच्ची लगन और समर्पण से कोई भी उच्च शिखर को छू सकता है।
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